रेखाएं बोलती हैं, जरा तन्मय होकर देखें | |
अमर्त्य प्रकाश | |
Story Update : Saturday, August 21, 2010 9:21 PM | |
एक कार्टूनिस्ट के लिए तीन चीजें महत्व रखती हैं, आइडिया, रेखांकन और कैप्शन। ललित कला अकादमी दिल्ली में 4 से 19 अगस्त तक लगी प्रदर्शनी में युवा कार्टूनिस्ट तन्मय के कार्टून्स को देखने के बाद लगता है कि उनके पास ये तीनों चीजें हैं। उनके विचार प्रखर हैं। रेखाएं बोलती हैं। और कैप्शन इतने कम बोलते हैं कि तुलसीदास के ‘अरथ अमित अति आखर थोरे’ की याद आती है। यानी कम से कम शब्द और ज्यादा से ज्यादा अर्थ। मुशर्रफ की पराजय पर वे बैलट बॉक्स में कैद मुशर्रफ को दिखाते हैं और कैप्शन में सिर्फ दो शब्द लिखते हैं- मुशर ऑफ। ये दो शब्द भी जनरल के नाम के एक शब्द को तोड़ कर बनाए गए हैं। |
मंगलवार, 24 अगस्त 2010
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