शनिवार, 24 अप्रैल 2010

रज़ा ने देखीं अपनी नक़ली पेंटिंग्स


कलाकार रज़ा
नामी कलाकारों के नाम पर नकली कलाकृतियों का धंधा खूब फलफूल रहा है
जाने माने भारतीय कलाकार एसएच रज़ा ने कहा है कि जब उन्होंने अपनी कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी का उदघाटन किया तो वहाँ अपने नाम पर अनेक नक़ली कलाकृतियाँ लगी देखकर वे हक्के-बक्के रह गए.

उन्होंने इस पर अपनी नाराज़गी प्रकट की है.

एसएच रज़ा दिल्ली में लगी एक कला प्रदर्शनी का उदघाटन करने गए थे.

धूमिमल आर्ट गैलरी ने रज़ा के नक़ली पेंटिंग के बारे में पता चलने के तुरंत बाद प्रदर्शनी को बंद कर दिया.

गैलरी का कहना है कि उन्हें कलाकार के परिवार की ओर से ही ये पेंटिंग्स मिली थीं.

कला विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल ज़्यादातर नामी कलाकारों के नाम पर नक़ली कलाकृतियों का धंधा खूब फलफूल रहा है.

क़ानूनी कार्रवाई

जानेमाने कलाकार 86 वर्षीय रज़ा ने कहा कि जब वे शनिवार को आर्ट गैलरी पहुँचे तो उन्होंने पाया कि वहाँ अनेक पेटिंग्स नक़ली थीं.

मैं इतना निराश हुआ हूँ कि इससे निकल नहीं पा रहा हूँ
एसएच रज़ा

रज़ा ने मेल टुडे समाचारपत्र में लिखा है, " अपनी ज़िंदगी के इस पड़ाव पर, यही अंतिम बात थी जिसे मैं करना चाहता- अपनी ही नक़ली कलाकृतियों की प्रदर्शनी की शान बढ़ाना. मैं इतना निराश हुआ हूँ कि इससे निकल नहीं पा रहा हूँ."

उन्होंने कहा कि उन्हें उनके मित्रों ने क़ानूनी कार्रवाई करने की सलाह दी है लेकिन वे यह तय नहीं कर पा रहे हैं.

उन्होंने लिखा है, " इससे पता लगता है कि भारतीय कला कितनी दयनीय स्थिति में है. हमें यह पता लगाना होगा कि यह कैसे हुआ."

क़रीब 70 साल पुरानी गैलरी की मालिक उमा रवि जैन ने बीबीसी को बताया कि रज़ा की वे कलाकृतियां उनके भतीजे से ही प्राप्त हुई हैं.

उन्होंने कहा, "गैलरी में प्रदर्शित कुल 30 अलग अलग पेंटिंग्स में से सिर्फ़ दो ही हमारे अपने संग्रह से थीं."

वास्तविक नक़ली

उमा रवि जैन ने कहा, "बाकी सारी कलाकृतियाँ रज़ा के परिवार से ही प्राप्त हुई थीं, इसलिए हम उनकी असलियत पर कोई संदेह नहीं कर सकते थे. यह ऐसा पहला मौक़ा है जब हमें इस तरह का अनुभव हुआ है."

रज़ा के साथ प्रदर्शनी में जाने वाले उनके एक दोस्त ने कहा कि वे कलाकृतियाँ नक़ली थीं.

इससे पता लगता है कि भारतीय कला कितनी दयनीय स्थिति में है. हमें यह पता लगाना होगा कि यह कैसे हुआ
उमा रवि जैन, गैलरी की मालिक

लेखक अशोक वाजपेयी ने मेल टुडे से कहा, "अगर आपके पास असली कलाकृति है और आप उसकी नक़ल तैयार कर लेते हैं तो भी आप उनके स्टाइल को बनाए रख रहे हैं. लेकिन जब आप ऐसी कलाकृतियाँ बना रहे हैं जो उससे बिलकुल अलग है जिसके लिए कलाकार जाना जाता है और फिर उसे कलाकार के हस्ताक्षर के साथ लगा दिया जाता है तो वह सच में नक़ली हैं."

दुनिया भर में रज़ा की कलाकृतियाँ बड़ी गैलरियों पर रिकॉर्ड दामों में बिकती हैं. रज़ा आजकल फ़्रांस में रहते और काम करते हैं.

गैलरी की मालिक ने माना कि भारत के उभरते कला बाज़ार के लिए नक़ली कलाकृतियाँ एक बड़ी समस्या बन गई हैं.

उन्होंने कहा, "आजकल बाज़ार में बहुत सी नक़ली कलाकृतियाँ है जो एक बड़ी समस्या है."

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GHAZIABAD, Uttar Pradesh, India
कला के उत्थान के लिए यह ब्लॉग समकालीन गतिविधियों के साथ,आज के दौर में जब समय की कमी को, इंटर नेट पर्याप्त तरीके से भाग्दौर से बचा देता है, यही सोच करके इस ब्लॉग पर काफी जानकारियाँ डाली जानी है जिससे कला विद्यार्थियों के साथ साथ कला प्रेमी और प्रशंसक इसका रसास्वादन कर सकें . - डॉ.लाल रत्नाकर Dr.Lal Ratnakar, Artist, Associate Professor /Head/ Department of Drg.& Ptg. MMH College Ghaziabad-201001 (CCS University Meerut) आज की भाग दौर की जिंदगी में कला कों जितने समय की आवश्यकता है संभवतः छात्र छात्राएं नहीं दे पा रहे हैं, शिक्षा प्रणाली और शिक्षा के साथ प्रयोग और विश्वविद्यालयों की निति भी इनके प्रयोगधर्मी बने रहने में बाधक होने में काफी महत्त्व निभा रहा है . अतः कला शिक्षा और उसके उन्नयन में इसका रोल कितना है इसका मूल्याङ्कन होने में गुरुजनों की सहभागिता भी कम महत्त्व नहीं रखती.