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चित्रकला विभाग एम्.एम्.एच. कालेज गाजियाबाद के स्नातकोत्तर वर्ष १९७४ और उससे पहले की घटना है जो पता मुझे इस लिंक के कारन मिला उससे तो दृष्टि ही बदल गयी यहाँ के क्रिया कलापों के बारे में जानकर , जब बात चीत से पता चला की इस विभाग के भाग्य में कितने अभागे लोगों को झेलना लिखा होगा, कब होगा कायाकल्प इस विभाग का तो रोंगटे खड़े हो जाते है -ऐसी ही एक घटना घटती है जिसमे एक कलाकार कला से बिमुख होता है और काल्पनिक प्रोफ़ेसर राठी - अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे है और जाते जाते भी चरित्र अपना नहीं ठीक कर पा रहे है|
इस किताब में पूरी घटना है -
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