हुसैन भारत लौटना चाहते हैं
मशहूर पेंटर मक़बूल फ़िदा हुसैन का कहना है कि वे 'निर्वासन में क़तई नहीं' हैं और भारत लौटेंगे.
शुक्रवार को लंदन में अपना 95वाँ जन्मदिन मना रहे हुसैन ने बीबीसी से विशेष बातचीत में कहा कि "मैं निर्वासन में नहीं हूँ, मैं अपने प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए भारत से निकला हूँ क्योंकि मुझे लगा कि वे वहाँ पूरे नहीं हो सकते."
उन्होंने कहा, "देखिए, जब मैं भारत से निकला था 2005 में तब कोई समस्या नहीं थी. मुझे तीन बड़े प्रोजेक्ट करने थे जिसके लिए स्पॉन्सर चाहिए थे जो भारत में नहीं मिल सकते थे इसलिए मैं पहले दुबई और फिर क़तर गया."
लंदन के पॉश इलाक़े मेफ़ेयर के एक अपार्टमेंट में बड़े बड़े कैनवसों पर महाभारत सीरिज़ की विशाल पेंटिग्स बना रहे एमएफ़ हुसैन कहते हैं, "वैसे भी भारत में कोई कभी मेरा कोई स्टूडियो या एक ठिकाना नहीं रहा, मैं घूम घूम कर पेंटिंग्स करता रहा हूँ, अक्सर भारत से बाहर रहा हूँ."
भारत की संस्कृति और उसकी तमाम बातें मेरे भीतर पूरी तरह भरी हुई हैं, मैं 90 साल तक वहाँ रहा हूँ, अगर आप मुझे एक हज़ार साल तक किसी जंगल में भी छोड़ दें तो वो बातें मेरे भीतर से ख़त्म होने वाली नहीं हैं
हाथ में लाठी जितनी बड़ी कूची को हवा में लहराकर हुसैन कहते हैं, "जितना प्यार मुझे भारत में मिला, भारत का बच्चा-बच्चा मुझे जानता है, उतना प्यार मुझे दुनिया में किसी ने नहीं दिया, मैं शरीर से भारत से दूर हूँ लेकिन उससे क्या होता है, मेरा दिल-दिमाग़ सब भारत में है."
हिंदू देवियों के नग्न चित्र बनाने के मुद्दे पर शुरू हुए हंगामे के बाद एमएफ़ हुसैन ने इसी वर्ष फ़रवरी महीने में क़तर की नागरिकता ले ली जिसकी मीडिया में बहुत चर्चा हुई थी.
रंगों और ब्रशों से घिरे अपने मूढ़े पर बैठे हुसैन भावुक होकर कहते हैं, "भारत की संस्कृति और उसकी तमाम बातें मेरे भीतर पूरी तरह भरी हुई हैं, मैं 90 साल तक वहाँ रहा हूँ, अगर आप मुझे एक हज़ार साल तक किसी जंगल में भी छोड़ दें तो वो बातें मेरे भीतर से ख़त्म होने वाली नहीं हैं."
ये पूछे जाने पर क्या उनका भारत जाने का इरादा है तो उन्होंने कहा, "ये तो पोलिटिकल झमेला है, आज नहीं तो कल ख़त्म हो जाएगा. फ़िलहाल तो मुझे इंडियन सिविलाइज़ेशन और अरब सिविलाइज़ेशन के दो बड़े पेंटिंग प्रोजेक्ट करने हैं उसमें दो साल लगेंगे. मैंने सोचा कि ये प्रोजेक्ट किसी अरब देश में रहकर पूरा किया जाए. उसके बाद ज़रूर जाऊँगा."
'मैं भागा नहीं हूँ'
हुसैन ने बताया कि उन्होंने विदेश में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए दी जाने वाली 'नागरिकता' ले ली है. उन्होंने कहा, "मैं जब चाहे भारत जा सकता हूँ, मुझे वीज़ा या पासपोर्ट की ज़रूरत नहीं है, मैं ओवरसीज़ सिटिज़न ऑफ़ इंडिया हूँ."
मैं क़ानून से भागा नहीं हूँ, वह प्रक्रिया चल रही है, कोर्ट के सम्मन आते हैं मेरे वकील जवाब देते हैं
उन्होंने भारत की नागरिकता छोड़कर क़तर की नागरिकता लेने का फ़ैसला क्यों किया, इसका जवाब देने के बदले एमएफ़ हुसैन कहते हैं, "जिसे जो कहना है, कहता रहे, मेरे ऊपर कोई प्रतिबंध तो है नहीं, जब मेरा जी करेगा भारत जाऊँगा."
मीडिया के रवैए की शिकायत करते हुए वे कहते हैं, "मीडिया कभी ये नहीं लिखता कि मेरे ऊपर 900 से ज़्यादा मुक़दमे लाद रखे हैं, पिछले 12 साल से मैं अपने वकीलों को 60-70 हज़ार रुपए हर महीने देता हूँ."
वे कहते हैं, "मैं क़ानून से भागा नहीं हूँ, वह प्रक्रिया चल रही है, कोर्ट के सम्मन आते हैं मेरे वकील जवाब देते हैं. होम मिनिस्ट्री की एक इनक्वायरी अब भी चल रही है, मुझे समझ में नहीं आता कि ये क्या हिमाक़त है."
इसका मतलब निकाला जा सकता है कि भारत के सेक्युलर डेमोक्रेटिक न्याय व्यवस्था में उनका यक़ीन नहीं है, इस पर हुसैन ने कहा, "ऐसा बिल्कुल नहीं है, अगर ऐसा होता तो मैं ओवरसीज़ इंडियन सिटिज़नशिप क्यों लेता?"
एमएफ़ हुसैन ने बताया कि वे जल्दी ही एक फ़िल्म भी बनाने वाले हैं जिसमें विद्या बालन होरीइन होंगी.
उन्होंने बताया, "अगले साल फ़रवरी-मार्च से इस फ़िल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी, अभी मैं स्क्रिप्ट लिख रहा हूँ."
अगर एमएफ़ हुसैन अपनी अगली फ़िल्म बनाते हैं तो वे संभवतः सिनेमा के इतिहास में सबसे उम्रदराज़ निर्माता-निर्देशक होंगे.
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नीलामी में बापू की तस्वीरों को मिले 2,880 पाउंड | |
लंदन। | |
Story Update : Wednesday, October 06, 2010 2:13 AM | |
भारत छोड़ो आंदोलन के दिनों की महात्मा गांधी की दुर्लभ तस्वीरों को मंगलवार को यहां आयोजित एक नीलामी में 2,880 पाउंड की बोली में खरीदा गया। यह राशि नीलामी कर्ताओं के अनुमान से दोगुनी है। इसी नीलामी में कर्नाटक के प्राचीन स्थलों की शुरूआती तस्वीरों की एक अल्बम पर भी बोली लगी जिसे अनुमानित राशि से पांच गुना कीमत पर खरीदा गया। नीलामी घर बोनहैम के ‘ट्रेवल एंड फोटोग्राफी (इंडिया एंड बियॉंड) विषय पर आयोजित इस नीलामी में गांधी जी की 21 दुर्लभ तस्वीरों पर बोली लगाई गई थी। 7 अगस्त को खींची गई इन तस्वीरों में गांधी जी को ऐतिहासिक दिन पर एक अनौपचारिक बैठक में दिखाया गया है जब उन्होंने अखिल भारतीय कांगे्रस समिति के उद्घाटन दिवस पर मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में लोगों को संबोधित किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। |
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