कला से गुम हुआ महारानी के विरोध के स्वर
शुक्रवार, 8 जून, 2012 को 12:52 IST तक के समाचार
अभी कुछ दिनों पहले इंग्लैंड की महारानी की हीरक जयंती धूमधाम से मनाई गई.
वर्ष 1977 में जब महारानी की रजत जयंती मनाई गई थी, तब जश्न मनाते हुए लहराते झंडो के साथ विरोध के स्वर भी प्रखर थे जो राजवंश के विरोधी स्वर थे.
ऐसा बदलाव क्यों आया है, जानने के लिए बीबीसी संवाददाता विंसेट दौद पंहुचे लंदन की फैशन-परस्त हेल्स गैलरी में जहां कलाकार ह्यू लॉक ने अपनी कलाकृति डेमेटर को दर्शाया है.पैंतीस साल बाद जब महारानी की हीरक जयंती मनाई गई तब विरोध की आवाज न के बराबर सुनाई दी.
"इस बार कितने लोग जुबिली समारोह में आए इसे देखकर मुझे निराशा हुई. मुझे खुशी होगी अगर आने वाले कुछ दनों में मनोरंजन जगत और मीडिया से लोग आगे आएं और इसका विरोध जताए, ऐसो लोग जो खुद को रिपब्लिकन कहते हैं."
कलाकार शॉन फेदरस्टोन
डेमेटर फसल कटने की देवी मानी जाती है. डेमेटर की कलाकृति खूबसूरत लगती है, लेकिन जरा गौर से देखें तो सर पर शाही घराने की झलक साफ दिखाई देती है.
लोकप्रिय
लॉक कहते हैं, "ये सस्ते खिलौने और जेवरात से बनाया गया है. इसमें छिपकलियां हैं, तितलियां हैं, खोपड़ी है. लेकिन ये सभी स्पष्ट नहीं है बल्कि छुपे हुए हैं. ये कलाकृति खूबसूरत है तो दूसरी तरफ तौहीन करने वाली भी है. दरअसल मैं न तो रिपब्लिकल हूं और न ही राजतंत्र का समर्थक."
लॉक की राजघराने की ये तस्वीरें लोगों में लोकप्रिय हो रही हैं. उनकी ऐसी ही दूसरी तस्वीर लंदन की नैशनल गैलरी की शोभा बढ़ा रही है. इन कलाकृतियों में थोड़ी बहुत धार भी है तो राजघराने को गिराने के काबिल तो कतई नहीं है. लेकिन 25 साल पहले रजत जयंती के वक्त कला और कलाकार इतने शिष्ट और नरम नहीं थे.
वर्ष 1977 में सेक्स पिस्टल की गॉ़ड सेव द क्वीन ने लोगों में गहरे रोष और निराशावादिता को दर्शाता था.
वही लहर उस साल कलाकार डेरेक जारमैन की फिल्म जुबिली में भी दिखाई दी जिसमें उन्होंने 70 के दशक के ब्रिटेन के चेहरे को अंधकारमय दिखाया था.
जारमैन ने पंक रॉक को लेते हुए एक कॉस्ट्यूम ड्रामा बनाया था.
विरोध
लेकिन इस ड्रामे में 77 की जयंती की बेइज्जती और निर्वस्त्रता का बेहिसाब इस्तेमाल कर इसे विवादित बना दिया था.
जारमैन की इस पिक्चर में कार्ल जॉनसन ने स्फिंक्स का रोल किया था. जॉनसन कहते हैं, "आज यू ट्यूब के जमाने में लोग पहले ही इतना खौफ, भय और वीभत्स देख चुके होतें हैं कि अब उन्हें कोई झटका देना या सदमे में लाना ज्यादा मुश्किल काम हो गया है."
इस बार के समारोह में शॉन फेदरस्टोन शायद इकलौते कलाकार है जो इस दिखावेपन का विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने एक अखबार निकाला है जिसके कुछ अंश गंभीर है तो कुछ अंश में मजाक उड़ा गया है.
इस अखबार का उन्होंने नाम रखा है द ग्रेट फ्रॉक एंड रोब स्वाइंडल.
बहस
फेदरस्टोन कहते हैं, "आज देश में लोकतंत्र पर बहस चल रही. आप बस उसे देख नहीं सक रहे हैं क्योंकि वो लोगों के बीच हो रही है. इस बार कितने लोग जुबिली समारोह में आए इसे देखकर मुझे निराशा हुई. मुझे खुशी होगी अगर आने वाले कुछ दिनों में मनोरंजन जगत और मीडिया से लोग आगे आएं और इसका विरोध जताए, ऐसो लोग जो खुद को रिपब्लिकन कहते हैं."
शॉन फेदर स्टोन गर्व से 1897 में महारानी विक्टोरिया की हीरक जयंती पर लेबर के राजनेता कीयर हार्डी का राजवंश पर चोट करता हुआ लेख दिखाते हैं.
दरअसल इस साल के समारोह में विरोध के स्वर ढूंढने का मतलब सिर्फ पुरानी बातों को याद कर लेना ही रह गया है
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