मंगलवार, 31 मई 2011

प्रयोगात्मक परीक्षा के सम्बन्ध में

सूचना
चै0 चरण सिंह विश्वविद्यालय की वर्ष 2010-2011 की चित्रकला की प्रयोगात्मक परीक्षा के सम्बन्ध में एम0 एम0 एच0 कालेज गाजियाबाद के समस्त चित्रकला के छात्र/छात्राओं को सूचित किया जाता है कि उनकी प्रयोगात्मक परीक्षाएं निम्न तिथियों में चित्रकला विभाग में आयोजित होनी हैं-
एम0 ए0 द्वितीय वर्ष - दिनांक-10, 11 व 12 जून २०११ समय- 7-10, 11-02, 03-06 तीनों पाली में।
एम0 ए0 प्रथम सेमेस्टर - दिनांक-07, 08 व 09 जून २०११ समय-7-10, 11-02, 03-06 तीनों पाली में।
बी0 ए0 तृतीय वर्ष - दिनांक-07 जून २०११ समय-7-10, 11-02, दो पाली में।
बी0 ए0 द्वितीय वर्ष - दिनांक-13 जून २०११ समय-7-10, 11-02, दो पाली में।
बी0 ए0 प्रथम वर्ष - दिनांक-14 जून २०११ समय-7-10, 11-02, दो पाली में।


                                                                                                                             

बुधवार, 25 मई 2011

सैटेलाइट ने ढूँढे 17 और पिरामिड

बी बी सी से साभार-

पिरामिड (फ़ाइल फ़ोटो)
मिस्र में मिले इन नए पिरामिडों के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी
सैटेलाइट के ज़रिए किए गए एक नए सर्वेक्षण से लुप्त हो चुके 17 पिरामिडों और एक हज़ार से अधिक ऐसे मक़बरों का पता चला है जिसकी अब तक खुदाई नहीं की गई है.
ये सर्वेक्षण नासा के सहयोग से एक अमरीकी प्रयोगशाला की ओर से किया गया है.
इसमें उच्च स्तरीय इंफ़्रा-रेड तकनीक का उपयोग किया गया जिससे भूमिगत वस्तुओं की तस्वीरें हासिल की जा सकती हैं.
मिस्र के अधिकारियों का कहना है कि इस तकनीक के उपयोग से प्राचीन स्मारकों को बचाने में सहायता मिलेगी क्योंकि इसके ज़रिए ये पता लगाया जा सकता है कि उनकी खुदाई करके वहाँ लूट तो नहीं हो गई है.

सर्वेक्षण

अलाबामा यूनिवर्सिटी की एक टीम ने सैटेलाइट से लिए गए उन तस्वीरों का अध्ययन किया जो इंफ़्रा-रेड कैमरों की मदद से खींची गई थीं.
इससे ज़मीन के भीतर मौजूद चीज़ों का पता लगाया जा सकता है.
शोध कर रही टीम ने जिस सैटेलाइट का उपयोग किया वह पृथ्वी की सतह से 700 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहा है लेकिन इसके कैमरे इतने शक्तिशाली हैं कि वे पृथ्वी की सतह पर एक मीटर के व्यास में मौजूद चीज़ों की तस्वीरें ले सकते हैं.
सैटेलाइट पुरातत्वविदों ने मिट्टी से बने कई इमारतों का पता लगाया है जिनमें पिरामिड के अलावा कुछ मिस्र के पुराने मकान हैं, धर्म स्थल हैं और मक़बरें हैं.
उनका कहना है कि आसपास की मिट्टी से ज़्यादा घनत्व वाले ढाँचों के आधार पर इनकी पहचान की गई है.
अब तक एक हज़ार से ज़्यादा मक़बरे और तीन हज़ार पुरानी इमारतों का अब तक पता लगाया जा चुका है.

उत्साह

आरंभिक खुदाई से इस शोध में मिली कुछ जानकारियों की पुष्टि भी हो गई है.
हम एक साल से भी अधिक समय से शोधकार्य में लगे हुए थे. मैं सैटेलाइट से मिल रही जानकारियों को देख रही थी लेकिन 'वाह' कहने वाला क्षण उस समय आया जब हमने एक क़दम पीछे हटकर सारी सामग्री को देखा. हमे सहसा विश्वास नहीं हुआ कि हमने मिस्र में इतनी चीज़ों का पता लगा लिया है
डॉ सारा पारकैक, प्रमुख शोधकर्ता
जिसमें सक़्क़ारा में ज़मीन में दबे गए दो पिरामिड शामिल हैं.
जब शोध कर रहा दल वहाँ पहुँचा था तो कम ही लोगों को भरोसा था कि वहाँ कुछ मिलेगा लेकिन खुदाई शुरु हुई तो इन पिरामिडों का पता चला. अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि ये मिस्र के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्मारकों में से एक साबित हो सकते हैं.
डॉ सारा पारकैक बरमिंघम और अलाबामा स्थित प्रयोगशालाओं में नासा के सहयोग से इस परियोजना पर काम कर रही हैं.
उन्होंने सैटेलाइट से मिली तस्वीरों की मदद से पुरातात्विक सर्वेक्षण के काम की शुरुआत की है.
वे कहती हैं, "हम एक साल से भी अधिक समय से शोधकार्य में लगे हुए थे. मैं सैटेलाइट से मिल रही जानकारियों को देख रही थी लेकिन 'वाह' कहने वाला क्षण उस समय आया जब हमने एक क़दम पीछे हटकर सारी सामग्री को देखा. हमे सहसा विश्वास नहीं हुआ कि हमने मिस्र में इतनी चीज़ों का पता लगा लिया है."
वे मानती हैं कि ये तो शुरुआत भर है.
वे कहती हैं, "जिसका हमने पता लगाया है वो तो सतह के क़रीब हैं. इसके अलावा हज़ारों ऐसे स्थान हो सकते हैं जो नील नदी की गाद में दब गए होंगे."
डॉ सारा पारकैक कहती हैं कि सबसे अद्भुत क्षण तानिस में आया.
वे बताती हैं कि खुदाई में एक तीन हज़ार साल पुराना मकान निकला जिसका पता सैटेलाइट की तस्वीरों से मिला था और सब चकित रह गए जब मकान और तस्वीर में समानता मिली.

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GHAZIABAD, Uttar Pradesh, India
कला के उत्थान के लिए यह ब्लॉग समकालीन गतिविधियों के साथ,आज के दौर में जब समय की कमी को, इंटर नेट पर्याप्त तरीके से भाग्दौर से बचा देता है, यही सोच करके इस ब्लॉग पर काफी जानकारियाँ डाली जानी है जिससे कला विद्यार्थियों के साथ साथ कला प्रेमी और प्रशंसक इसका रसास्वादन कर सकें . - डॉ.लाल रत्नाकर Dr.Lal Ratnakar, Artist, Associate Professor /Head/ Department of Drg.& Ptg. MMH College Ghaziabad-201001 (CCS University Meerut) आज की भाग दौर की जिंदगी में कला कों जितने समय की आवश्यकता है संभवतः छात्र छात्राएं नहीं दे पा रहे हैं, शिक्षा प्रणाली और शिक्षा के साथ प्रयोग और विश्वविद्यालयों की निति भी इनके प्रयोगधर्मी बने रहने में बाधक होने में काफी महत्त्व निभा रहा है . अतः कला शिक्षा और उसके उन्नयन में इसका रोल कितना है इसका मूल्याङ्कन होने में गुरुजनों की सहभागिता भी कम महत्त्व नहीं रखती.